Today
April 13, 2019 at 12:23 pm,
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मैं खुद में एक जहाँ ले चल रहा हूँ
गीली ज़मीन और खुला आसमान ले चल रहा हूँ
गीली ज़मीन और खुला आसमान ले चल रहा हूँ
ज़िन्दगी की मुश्किलें तो मील के पत्थर हैं
मैं इस सफर में ख्वाबों का कारवां ले चल रहा हूँ
मैं इस सफर में ख्वाबों का कारवां ले चल रहा हूँ
बिखरे लम्हों को जोड़कर बनाई ये ज़िन्दगी
कभी हादसे कभी दास्ताँ ले चल रहा हूँ
कभी हादसे कभी दास्ताँ ले चल रहा हूँ
ज़िन्दगी के सतरंगी अफरोज़ों से निकाल
तेरे ही रंग का आसमान ले चल रहा हूँ
तेरे ही रंग का आसमान ले चल रहा हूँ
1 comment - Today
Jitu - September 10, 2024 at 6:12 am
Wah wah Kya Khoob likhte hain. Ab yeh hum aapke lavz, live sunne ki arzoo rakhte hai.