khayal
April 20, 2019 at 8:57 pm,
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दरख्तों में जमीं बर्फ की ठंढक
बस महसूस करता रहूं आँखें मूँद कर
खो जाऊं इन वादिओं में तनहा
ाआहिस्ता आहिस्ता पिघलूँ बर्फ बन कर
परछाइओं से बन रही कई परछाइयां
दरख्तों को ढूंढ निकालूँ बर्फ से
झील में रेंगती बर्फ की आरज़ू
सुन रहां हूँ नीली आँखें बंद कर