साहिल समंदर
January 10, 2015 at 11:31 am,
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साहिल अगर गुम जाये तो समंदर को दो आवाज़
मुश्किल हो गर चलना ज़मीन पर तो आसमानो पर करो परवाज़
अंजाम अगर ना दिखे तो आगाज़ को दो फिर आवाज़
उन आवारा लहरों के बीच भी न भूलो अपने अंदाज़
तन्हाई को गर न मिटा पाओ खुद से तो दो मुझे आवाज़
दिखूं या ना दिखूं तुम्हे पर मैं हमेशा हूँ तुम्हारे आस पास
वक़्त तो कभी ठहरता नहीं किसी के लिए ऐ दोस्त
तुम ही रूक जाओ किसी मोड़ पर जहाँ से फिर चलें साथ साथ